मुलायम सिंह की छोटी बहू अपर्णा यादव आज समाजवादी कुनबा छोड़ भाजपा में शामिल हो चुकी हैं। अपर्णा 2017 का विधानसभा चुनाव लखनऊ कैंट सीट से सपा के टिकट पर ल”ड़ चुकी हैं। मुलायम सिंह परिवार का अहम हिस्‍सा होने के बावजूद वह यूपी के मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ को अपना बड़ा भाई मानती हैं। तमाम मुद्दों पर पीएम मोदी की तारीफ करती हैं। पिछले कुछ समय से उनके बीजेपी में जाने की चर्चा थी जो आज हकीकत में बदल गयी है। आइए जानते हैं कि आखिर यूपी में विपक्ष के सबसे बड़े राजनीतिक घराने की बहू अपर्णा की क्‍या है कहानी।

बताया जाता है कि प्रतीक यादव को वह स्कूल के दिनों से ही जानती थीं। साल-2010 में अपर्णा और प्रतीक की सगाई हुई और दिसम्‍बर 2011 में दोनों विवाह बंधन में बंध गए। विवाह समारोह का पूरा आयोजन मुलायम सिंह के पैतृक गांव सैफई में किया 6083626415408045-var-s1.html style="-webkit-tap-highlight-color: transparent; background-color: white; border: 0px; color: #404040; font-family: hindi; font-size: 16px; margin: 0px 0px 2rem; padding: 0px; text-size-adjust: none; vertical-align: baseline;">अपर्णा और प्रतीक की एक बेटी है जिसका नाम प्रथमा है।

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अपर्णा यादव के भाजपा में जाने की अटकलें तब भी लगी थीं लेकिन पत्रकारों से बातचीत में इस सम्‍भावना को खारिज करते हुए अपर्णा यादव ने तब कहा था कि मैं कहीं नहीं जा रही हूं। सीएम योगी एक पशु प्रेमी हैं। बस इसी वजह से हमने उन्हें यह जीवाश्रम देखने का न्यौता दिया था। कान्हा उपवन में लावारिस पशु के साथ गाय, भैंस और कुत्तों को रखा जाता है। वहां इनकी देख-रेख होती है। अपर्णा यादव की भाजपा की ओर आकर्षण तब भी देखने को मिला था जब एक पारिवारिक समारोह में पीएम मोदी के आने पर उन्होंने उनके साथ फोटो ली थी। 2017 के चुनाव से पहले भी वह आए दिन पीएम मोदी की तारीफ करती दिखती थीं।

राजनीति में ली है मास्‍टर डिग्री: यूपी के बड़े राजनीतिक परिवार की बहू अपर्णा ने राजनीति को विषय के तौर पर भी गहनता से पढ़ा है। उन्‍होंने ब्रिटेन की मैनचेस्टर यूनिवर्सिटी से इंटरनेशनल रिलेशन एंड पॉलिटिक्स में मास्टर डिग्री ली है।

परिवारिक मामलों में बोलने से बचती रही हैं अर्पणा:2017 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले समाजवादी पार्टी मुखिया के परिवार में मचे घ”मा”सान में अपर्णा यादव शांत ही रहीं। हालांकि माना जाता है कि परिवार के अंदरूनी समीकरणों में अपर्णा और प्रतीक को अखिलेश यादव-डिंपल यादव के मुकाबले शिवपाल यादव के ज्‍यादा करीब माना जाता है लेकिन अपने साक्षात्‍कारों में अपर्णा इसे पारिवारिक मसला बताकर टालती रही हैं। कई साक्षात्‍कारों में उन्‍होंने दावा किया कि उनके परिवार में सब कुछ सामान्‍य है और राजनीतिक मत”भे”दों का पारिवारिक रिश्‍तों पर कोई खास असर नहीं पड़ता। हालांकि हाल में अपर्णा यादव के बीजेपी में जाने की अटकलें तेज हुई तो शिवपाल सिंह यादव ने उन्‍हें सलाह दी कि वह सपा में ही रहें और काम करें। अभी उन्हें बहुत कुछ सीखना है। उन्होंने कहा था राजनीति में एकदम से कुछ नहीं मिलता है। पार्टी में पहले उन्हें काम करना चाहिए और फिर फल मिलता है। गौरतलब है कि शिवपाल की प्रगतिशील समाजवादी पार्टी इस चुनाव में सपा गठबंधन का हिस्‍सा है।

style="-webkit-tap-highlight-color: transparent; background-color: white; border: 0px; color: #404040; font-family: hindi; font-size: 16px; margin: 0px 0px 2rem; padding: 0px; text-size-adjust: none; vertical-align: baseline;">रीता बहुगुणा से मिली थी पराजय: अपर्णा यादव ने 2017 का विधानसभा चुनाव समाजवादी पार्टी के टिकट पर लखनऊ कैंट सीट से लड़ा था। उस चुनाव में उन्‍हें भाजपा की रीता बहुगुणा जोशी ने हरा दिया था। गौरतलब है कि इस बार रीता बहुगुणा जोशी लखनऊ की कैंट विधानसभा सीट से अपने बेटे के लिए भाजपा का टिकट मांग रही हैं।

 उन्‍होंने कल ही पार्टी के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष जेपी नड्डा को एक चिट्ठी लिखकर बेटे को टिकट दिलाने के लिए खुद इस्‍तीफा देने का प्रस्‍ताव रखा। रीता बहुगुणा का कहना है कि पार्टी ने एक परिवार से एक व्‍यक्ति को टिकट देने का नियम बनाया है। इस नियम के सम्‍मान में उन्‍होंने बेटे को टिकट दिलाने के लिए अपने इस्‍तीफे की पेशकश की है

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